शेर और लकड़बग्घे
शेरा नाम का एक शेर बहुत परेशान था । वो एक नौजवान शेर था जिसने अभी -अभी शिकार करना शुरू किया था । पर अनुभव न होने के कारण वो अभी तक एक भी शिकार नहीं कर पाया था । हर एक असफल प्रयास के बाद वो उदास हो जाता , और ऊपर से आस -पास घूम रहे लकड़बघ्घे भी उसकी खिल्ली उड़ा कर खूब मजे लेते|शेरा गुस्से में उनपर दहाड़ता पर वे ढीठ कहाँ डरने वाले थे , ऐसा करने पर वे और जोर -जोर से हँसते ।
“उन पर ध्यान मत दो ” , समूह के बाकी शेर सलाह देते ।“कैसे ध्यान न दूँ ? हर बार जब मैं कसी जानवर का शिकार करने जाता हूँ तो इन लकड़बग्घों की आवाज़ दिमाग में घूमती रहती है “ , शेरा बोला।
शेरा का दिल छोटा होता जा रहा था , वो मन ही मन अपने को एक असफल शिकारी के तौर पर देखने लगा और आगे से शिकार का प्रयास न करने की सोचने लगा।
ये बात शेरा की माँ , जो दल के सबसे सफल शिकारियों में से थी को अच्छी तरह से समझ आ रही थी । एक रात माँ ने शेरा को बुलाया और बोली ,” तुम परेशान मत हो , हम सभी इस दौर से गुजरे हैं , एक समय था जब मैं छोटे से छोटा शिकार भी नहीं कर पाती थी और तब ये लकड़बग्घे मुझपर बहुत हँसते थे । तब मैंने ये सीखा , “ अगर तुम हार मान लेते हो और शिकार करना छोड़ देते हो तो जीत लकड़बग्घों की होती है । लेकिन अगर तुम प्रयास करते रहते हो और खुद में सुधार लाते रहते हो … सीखते रहते हो तो एक दिन तुम महान शिकारी बन जाते हो और फिर ये लकड़बग्घे कभी तुम पर नहीं हंस पाते ।”समय बीतता गया और कुछ ही महीनो में शेरा एक शानदार शिकारी बन कर उभरा , और एक दिन उन्ही लकड़बग्घों में से एक उसके हाथ लग गया ।“ म्म्म् मुझे मत मारना … मुझे माफ़ कर दो जाने; मुझे जाने दो ”, लकड़बग्घा गिड़गिड़ाया।“ मैं तुम्हे नहीं मारूंगा , बस मैं तुम्हे और तुम्हारे जैसे आलोचकों को एक सन्देश देना चाहता हूँ । तुम्हारा खिल्ली उड़ाना मुझे नहीं रोक पाया , उसने बस मुझे और उत्तेजित किया कि मैं एक अच्छा शिकारी बनूँ … खिल्ली उड़ाने से तुम्हे कुछ नहीं मिला पर आज मैं इस जंगल पर राज करता हूँ । जाओ मैं तुम्हारी जान बख्शता हूँ … जाओ बता दो अपने धूर्त साथियों को कि कल वे जिसका मजाक उड़ाते थे आज वही उनका राजा है ।”Friends, इस दुनिया में आपकी कमियां गिनाने वालों की कमी नहीं है, आपको ऐसे तमाम critics मिला जायेंगे जो आपकी काबिलियत , आपकी skills और कुछ कर पाने की ability पर doubt करेंगे , आपका मजाक उड़ाएंगे । अगर आप इन आलोचकों के डर से पीछे हट जाते हैं तो आप उन्हें जीतने देते हैं लेकिन अगर आप डटे रहते हैं , बार -बार प्रयास करते रहते हैं , खुद में improvement लाते रहते हैं तो एक दिन आप जीत जाते हैं ।इसलिए life में आने वाले critics से कभी मुंह मत मोड़िये , उनका सामना कीजिये , उन्हें कुछ भला -बुरा मत कहिये बस चुपचाप अपने लक्ष्य का पीछा करते रहिये और एक दिन सफलता प्राप्त करके दिखाइए … यही उनके लिए आपका सबसे बड़ा जवाब होगा।
शेरा नाम का एक शेर बहुत परेशान था । वो एक नौजवान शेर था जिसने अभी -अभी शिकार करना शुरू किया था । पर अनुभव न होने के कारण वो अभी तक एक भी शिकार नहीं कर पाया था । हर एक असफल प्रयास के बाद वो उदास हो जाता , और ऊपर से आस -पास घूम रहे लकड़बघ्घे भी उसकी खिल्ली उड़ा कर खूब मजे लेते|
शेरा गुस्से में उनपर दहाड़ता पर वे ढीठ कहाँ डरने वाले थे , ऐसा करने पर वे और जोर -जोर से हँसते ।
“उन पर ध्यान मत दो ” , समूह के बाकी शेर सलाह देते ।
“कैसे ध्यान न दूँ ? हर बार जब मैं कसी जानवर का शिकार करने जाता हूँ तो इन लकड़बग्घों की आवाज़ दिमाग में घूमती रहती है “ , शेरा बोला।
शेरा का दिल छोटा होता जा रहा था , वो मन ही मन अपने को एक असफल शिकारी के तौर पर देखने लगा और आगे से शिकार का प्रयास न करने की सोचने लगा।
ये बात शेरा की माँ , जो दल के सबसे सफल शिकारियों में से थी को अच्छी तरह से समझ आ रही थी । एक रात माँ ने शेरा को बुलाया और बोली ,” तुम परेशान मत हो , हम सभी इस दौर से गुजरे हैं , एक समय था जब मैं छोटे से छोटा शिकार भी नहीं कर पाती थी और तब ये लकड़बग्घे मुझपर बहुत हँसते थे । तब मैंने ये सीखा , “ अगर तुम हार मान लेते हो और शिकार करना छोड़ देते हो तो जीत लकड़बग्घों की होती है । लेकिन अगर तुम प्रयास करते रहते हो और खुद में सुधार लाते रहते हो … सीखते रहते हो तो एक दिन तुम महान शिकारी बन जाते हो और फिर ये लकड़बग्घे कभी तुम पर नहीं हंस पाते ।”
समय बीतता गया और कुछ ही महीनो में शेरा एक शानदार शिकारी बन कर उभरा , और एक दिन उन्ही लकड़बग्घों में से एक उसके हाथ लग गया ।
“ म्म्म् मुझे मत मारना … मुझे माफ़ कर दो जाने; मुझे जाने दो ”, लकड़बग्घा गिड़गिड़ाया।
“ मैं तुम्हे नहीं मारूंगा , बस मैं तुम्हे और तुम्हारे जैसे आलोचकों को एक सन्देश देना चाहता हूँ । तुम्हारा खिल्ली उड़ाना मुझे नहीं रोक पाया , उसने बस मुझे और उत्तेजित किया कि मैं एक अच्छा शिकारी बनूँ … खिल्ली उड़ाने से तुम्हे कुछ नहीं मिला पर आज मैं इस जंगल पर राज करता हूँ । जाओ मैं तुम्हारी जान बख्शता हूँ … जाओ बता दो अपने धूर्त साथियों को कि कल वे जिसका मजाक उड़ाते थे आज वही उनका राजा है ।”
Friends, इस दुनिया में आपकी कमियां गिनाने वालों की कमी नहीं है, आपको ऐसे तमाम critics मिला जायेंगे जो आपकी काबिलियत , आपकी skills और कुछ कर पाने की ability पर doubt करेंगे , आपका मजाक उड़ाएंगे । अगर आप इन आलोचकों के डर से पीछे हट जाते हैं तो आप उन्हें जीतने देते हैं लेकिन अगर आप डटे रहते हैं , बार -बार प्रयास करते रहते हैं , खुद में improvement लाते रहते हैं तो एक दिन आप जीत जाते हैं ।
इसलिए life में आने वाले critics से कभी मुंह मत मोड़िये , उनका सामना कीजिये , उन्हें कुछ भला -बुरा मत कहिये बस चुपचाप अपने लक्ष्य का पीछा करते रहिये और एक दिन सफलता प्राप्त करके दिखाइए … यही उनके लिए आपका सबसे बड़ा जवाब होगा।
पंचतंत्र की कहानी: शेर और सियार (Panchtantra Ki Kahani: The Lion And The Jackal) शेर और लकड़बग्घे
Reviewed by कहानियाँ हिंदी में
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September 10, 2020
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