पंचतंत्र की प्रसिद्ध कहानियाँ Best panchatantra Stories In HIndi |
ईमानदारी का फल व लकड़हारे की कुल्हाड़ी
ईमानदारी का फल व लकड़हारे की कुल्हाड़ी |
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लकड़हारा रहता था. वह अपने काम के प्रति बहुत ईमानदार था और हमेशा कड़ी मेहनत करता था. प्रत्येक दिन वह पास के जंगल में पेड़ काटने चले जाता. जंगल से पेड़ काटने के बाद वह लकड़िया अपने गाँव लाता और सौदागर को बेच देता जिससे वह काफी अच्छा पैसा कमाता था. वह अपनी रोजमर्रा के खर्च से अधिक पैसा कमाता था जिससे उसके पास अच्छी बचत भी हो जाती लेकिन वह लकड़हारा अपने साधारण जीवन से खुश था.
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लकड़हारा रहता था. वह अपने काम के प्रति बहुत ईमानदार था और हमेशा कड़ी मेहनत करता था. प्रत्येक दिन वह पास के जंगल में पेड़ काटने चले जाता. जंगल से पेड़ काटने के बाद वह लकड़िया अपने गाँव लाता और सौदागर को बेच देता जिससे वह काफी अच्छा पैसा कमाता था. वह अपनी रोजमर्रा के खर्च से अधिक पैसा कमाता था जिससे उसके पास अच्छी बचत भी हो जाती लेकिन वह लकड़हारा अपने साधारण जीवन से खुश था.
एक दिन, वह नदी किनारे पेड़ काट रहा था. अचानक, उसके हाथ से कुल्हाड़ी फिसली और वह गहरे नदी में जा गिरी. वह नदी बहुत गहरी थी इसलिए वह खुद उस कुल्हाड़ी को नहीं निकाल सकता था. उसके पास सिर्फ एक ही कुल्हाड़ी थी जो अब नदी में खो चुकी थी. वह यह सोचकर बहुत परेशान हो गया.. वह सोचने लगा की बिना कुल्हाड़ी के वह अपनी आजीविका किस तरह से चला पायेगा.
वह बहुत ही दुखी हो गया, इसलिए वह भगवान से प्रार्थना करने लगा. वह सच्चे मन से प्रार्थना कर रहा था इसलिए भगवान ने उसकी बात सुनी और उसके पास आकर पूछा, ” पुत्र ! क्या समस्या हो गयी ? लकड़हारे ने अपनी सारी बात भगवान को बताई और अपनी कुल्हाड़ी लौटाने के लिए भगवान से विनती की.
भगवान ने अपना हाथ उठाकर गहरे नदी में डाला और चांदी की कुल्हाड़ी निकालकर लकड़हारे से पूछा, ” क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है ?
लकड़हारे ने उस कुल्हाड़ी को देखा और बोला, ” नहीं. भगवान ने अपना हाथ दोबारा पानी में डाला और एक कुल्हाड़ी निकाली जो सोने की बनी हुई थी.
भगवान ने उससे पूछा, ” क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है ?
लकड़हारे ने उस कुल्हाड़ी को अच्छी तरह देखा और बोला, ” नहीं भगवान ! यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है.
भगवान बोले, ” इसे ध्यान से देखो मेरे पुत्र, यह सोने की कुल्हाड़ी है जो बहुत कीमती है. सच में यह तुम्हारी नहीं है ?
लकड़हारा बोला, ” नहीं ! यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है. मैं सोने की कुल्हाड़ी से पेड़ नहीं काट सकता, यह मेरे किसी काम की नहीं है.
भगवान यह देखकर खुश हुए और अपना हाथ फिर से गहरी नदी में डाला और एक कुल्हाड़ी निकाली. यह कुल्हाड़ी लोहे की थी और भगवान ने लकडहारे से पूछा, ” यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है ?
लकड़हारा कुल्हाड़ी देखकर बोला, ” जी हाँ, यह मेरी कुल्हाड़ी है. आपका धन्यवाद. भगवान लकड़हारे की ईमानदारी देखकर बहुत प्रभावित हुए. उन्होंने उसे लोहे की कुल्हाड़ी दे दी, साथ में उसे दो कुल्हाड़ी उसकी ईमानदारी के लिए ईनाम में भी दी.Moral Of This Story –दोस्तों ! यह कहानी हमें ईमानदारी की एक बहुत बड़ी सीख देती है. हमेशा ईमानदार रहो. ईमानदारी हमेशा से ही प्रशंसा की पात्र रही है. ईमानदारी हमारे नैतिक गुणों में चार चाँद लगाती है और फलस्वरूप हमें इसका बेहतर फल हमेशा मिलता है. इसलिए अपने काम के प्रति, खुद के प्रति और हर स्थिति में ईमानदार रहे.. आपको आपकी ईमानदारी का फल अवश्य मिलेगा.
लकड़हारा कुल्हाड़ी देखकर बोला, ” जी हाँ, यह मेरी कुल्हाड़ी है. आपका धन्यवाद. भगवान लकड़हारे की ईमानदारी देखकर बहुत प्रभावित हुए. उन्होंने उसे लोहे की कुल्हाड़ी दे दी, साथ में उसे दो कुल्हाड़ी उसकी ईमानदारी के लिए ईनाम में भी दी.
Moral Of This Story –दोस्तों ! यह कहानी हमें ईमानदारी की एक बहुत बड़ी सीख देती है. हमेशा ईमानदार रहो. ईमानदारी हमेशा से ही प्रशंसा की पात्र रही है. ईमानदारी हमारे नैतिक गुणों में चार चाँद लगाती है और फलस्वरूप हमें इसका बेहतर फल हमेशा मिलता है. इसलिए अपने काम के प्रति, खुद के प्रति और हर स्थिति में ईमानदार रहे.. आपको आपकी ईमानदारी का फल अवश्य मिलेगा.
Golden axe story for kids-सोने की कुल्हाड़ी - Hindi Kahaniya for kids
Reviewed by कहानियाँ हिंदी में
on
September 03, 2020
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